चट्टान टूटने ग्रामीण भयभीत।भू-बैज्ञानिको की रिपोर्ट के बाद भी विस्थापन नहीं हो सका।

----------------प्रकाश कपरूवान--------------

जोशीमठ।
रैणी की आपदा को लोग अभी भूले भी नहीं थे कि रैणी के ठीक सामने के गाँव जुगजु के शीर्ष से चट्टान टूटने से ग्रामीण ख़ौफ़ज़दा है। चट्टान टूटने की आवाज सुनते ही लोग घरों से भाग खड़े हए।रैणी आपदा के दंश को नजदीक से देख चुके जुगजु के ग्रामीण अब बेहद डरे सहमे हैं।
दरसअल जुगजु गाँव के ठीक ऊपर चट्टान टूटने का सिलसिला कोई नया नही है, वर्ष 1984 में पहली बार चट्टान टूटने का क्रम शुरू हुआ, तब से ही गाँव के विस्थापन की मांग भी शुरू हुई, वर्ष 1999 भूकंप के दौरान भी चट्टान टूटी थी, तब वर्ष 2000 में जुगजु गावँ व चट्टानों का भूगर्भीय सर्वेक्षण हुआ था।
भूगर्भ बैज्ञानिको ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि जुगजु गाँव को निचली ओर से धौली गंगा से कटाव का खतरा है तो ऊपरी  ओर से चट्टान टूटकर खिसकने का,इसलिए इस गाँव का विस्थापन किया जाना आवश्यक होगा। लेकिन सर्वेक्षण रिपोर्ट के 21 वर्ष बीतने के बाद भी जुगजु गाँव का विस्थापन नहीं हो सका।
बीती 7 फरवरी को ऋषि गंगा रैणी में आई भीषण आपदा के दौरान जुगजु गाँव को जोड़ने वाला एक मात्र पैदल पुल भी आपदा की भेंट चढ़ गया था,16 परिवारों का जुगजु गाँव ग्राम पंचायत रैणी चक लाता के अंतर्गत है, जो वर्षो से विस्थापन की वाट जोह रहा है।

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