सूखी झील, खच्चरों की लीद व उबड़ खाबड़ बुग्याल ही औली की रह गई पहचान, उपेक्षा के लिए कौन है जिम्मेदार ?।।

----------------- प्रकाश कपरुवाण।
औली/ज्योतिर्मठ।
       विश्व विख्यात पर्यटन स्थल औली ने यूँ तो कम समय मे ही विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थान बना लिया था, लेकिन प्रकृति की इस अनमोल धरोहर को क्या मालूम था विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थान पाने के बाद उसकी ऐसी दुर्गति होगी।
         औली भले ही शीतकालीन हिम क्रीड़ा के लिए देश मे सबसे बेहतरीन स्थान हो, और शीत कालीन पर्यटकों के साथ स्कीइंग के शौक़ीनों की यह पहली पसंद हो, लेकिन ग्रीष्म काल मे भी औली का क्रेज कुछ कम नहीं है।
    
     श्री बद्रीनाथ धाम एवं श्री हेमकुण्ड साहिब -लोकपाल पहुँचने वाले  श्रद्धालु /पर्यटक औली का दीदार भी करना चाहते हैं, और पर्यटक औली पहुँच भी रहे हैं, लेकिन चारों ओर फैली खच्चरों की लीद, उबड़ खाबड़ बुग्याल व सूखी हुई कृतिम झील को देख शायद ही वे  किसी अन्य पर्यटक या रिश्तेदारों को औली जाने की सलाह देंगें।
     औली की कृतिम झील जो न केवल औली का प्रमुख आकर्षण है बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के कारण औली की पहचान बन चुकी है, उसकी दशा भी किसी से छुपी नहीं है, इस कृतिम झील मे न पानी ही पर्याप्त है और ना ही झील के आस पास साफ सफाई, ऊपर से झील के  नजदीक ही जानवर का शव पड़ा है।
     जोशीमठ भू धसाव आपदा के दौरान जोशीमठ -औली रोप वे भी बन्द है, रोप वे भी पर्यटकों का आकर्षण था,  अब पर्यटक अपने वाहनों से किसी तरह औली तो पहुँच रहे हैं पर औली से क्या संदेश लेकर लौट रहे हैं समझा जा सकता है।
  हाँ औली पहुँचने वाले पर्यटक एक बात पर अवश्य संतुष्ट हो रहे होंगें कि उन्हें उबड़ खाबड़ बुग्याल के ऊपर आठ सौ मीटर चियर लिफ्ट की सैर करने का अवसर मिल रहा है, लेकिन औली आने वाले पर्यटकों के मन मे एक तो नजदीक से बर्फ देखने का कौतुहल बना रहता है, जो ग्रीष्मकाल मे संभव नहीं है, तब पर्यटक औली मे देखे तो देखे क्या? सूखी हुई झील खच्चरों की लीद और मरे हुए जानवर क्या यही सब देखने आएंगे पर्यटक।
   औली की कृतिम झील की उपेक्षा से चिंतित औली से जुड़े पर्यटन व्यवसायियों ने भी जिलाधिकारी को पत्र भेजकर अपनी चिंता से अवगत कराया, जिस पर जीएमवीएन झील तक पहुँचने वाली पाइप लाइनों की मरम्मत मे तो जुटा है लेकिन झील कब तक पानी से लबालब होगी यह देखना होगा।
    हालांकि घोड़े -खच्चर, बाइक व जिप्सी संचालन से स्थानीय युवाओं को रोजगार अवश्य मिल रहा है,और कई परिवारों के गुजर बसर का एकमात्र जरिया ही औली है, यह जरिया अनवररत बना रहे इसके लिए औली से जुड़े प्रत्येक ब्यक्ति को औली को संवारने की दिशा मे भी पहल करनी होगी।
      अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शीतकालीन प्रतियोगिताओं की मेजबानी कर चुके औली का अस्तित्व बचा रहे इसके लिए जरुरत है पर्यटन विभाग, वन विभाग व राजस्व विभाग को औली को लेकर एक ठोस कार्ययोजना तैयार करने की ताकि बुग्याल का स्वरुप भी बचे, रोजगार भी मिले और पर्यटक औली की खूबसूरत तस्वीर लेकर भी लौटे।
    
    
     
  

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