जड़ीबूटी कृषिकरण:-जटामांसी, चिरायता, कुटकी व अतीस उत्पादक गांव के रूप मे पहचान मिलेगी सुदूरवर्ती ग्राम "कनोल" को।।

नंदानगर-चमोली,12 जुलाई।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक) द्वारा नंदानगर ब्लॉक के दुर्गम ग्राम कनोल में औषधीय पौधों का वितरण किया गया। 
इस कार्यक्रम को गढ़वाल विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विजयकांत पुरोहित के दिशा निर्देश में डॉक्टर प्रदीप डोभाल और अजय हेमदान द्वारा संपन्न किया गया उनके द्वारा जड़ी-बूटियों के संरक्षण कृषिकरण,उनके स्वास्थ्य एवं व्यापार से कृषकों को होने वाले लाभ के विषय में विस्तृत जानकारी दी। 
साथ ही किसानों को जड़ी बूटियों के कृषिकरण का प्रशिक्षण भी दिया गया। बुधवार को हिमालयन बायों रिसोर्स मिशन, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के एवं हैप्रेक विभाग के ओर से प्रायोजित नंदानगर ब्लॉक के दुर्गम ग्राम कनोल में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में हैप्रेक के शोधार्थियों ने किसानों को दुर्लभ जड़ी-बूटी जटामांसी, अतीस चिरायता एवं कुटकी आदि के दस हजार से अधिक पौधों का वितरण किया। इस मौके पर हैप्रेक से डा. प्रदीप डोभाल, अजय हेमदान, कमल पुंडीर कनोल ग्राम प्रधान सरस्वती देवी सहित 35 काश्तकारों ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

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