बद्रीनाथ/जोशीमठ,08अक्टूबर।
ज्योतिषपीठ ब्यास पद से अलंकृत आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कहा कि अहिंसा का सिद्धांत जिस तत्व में मानने की ब्यवस्था है वही सनातन धर्म है। कर्म व ज्ञान पर सारगर्भित प्रवचन करते हुए आचार्य ने कहा कि
कर्म में भी दो पंख है ज्ञान व कर्म सांसारिक और व्यवहारिक ज्ञान होना चाहिए ज्ञान और कर्म दो पंख समान होने पर विकास व्यवस्थायें व कार्य सफल होते हैं यदि ज्ञान रूपी पंख बड़ा व कर्म रूपी पंख छोटा हो तो वह व्यक्ति अटक जाता है उसके कार्य रुक जाते हैं और दूसरे के कार्यो को भी रोकता है कर्म रूपी पंख बड़ा व ज्ञान रूपी पंख छोटा हो तो लुटकना ही होता है।
वेद का सूत्र है कि ज्ञान कर्म दोनों पंख समान होने चाहिए। बद्रीनाथ धाम के भारत सेवाश्रम में स्वर्गीय कैप्टन निशांत नेगी की पुण्य स्मृति में परिजनों के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत के सातवें दिन की कथा में व्यक्त करते हुए ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने कहा कि जहाँ जन्म है वहीं मनुष्य का कर्म भी है, जीवन कर्म का पर्याय है इसलिए जीवन ही कर्म है। मृत्यु के बाद चित पर उनकी स्मृति शेष रहती है जो बुराई को जन्म देती है संसार की गति अविरल व वृताकार है इसका न कही आदि है न अंत। सृष्टि निर्माण एवम विध्वंस का कार्य सतत रूप से चलरहा है जहाँ यह व्रत पूरा होगा तथा नई सृष्टि के लिए अवसर उपस्थित होगा इसी प्रकार कर्म व वासनाओं की गति भी वृत्ताकार है कर्म से स्मृति व संस्कार बनते हैं तथा इन संस्कारों के कारण विषय वासना दुर्भावना जागृत होती है वासना आसक्ति से जन्म म्रत्यु पुनर्जन्म का चक्र आरम्भ होता है वासना का मूल अहंकार है अहंकार के गिर जाने से विषय वासनाएं समाप्त हो जाती है भोग प्रारबधिन है व भगवान ने मनुष्य को क्रिया शक्ति दी है क्रिया को व्यर्थ गवाने पर पाप व अर्जित करने पर सुखा नुभूति होती है अहिंशा के सिद्धांत जिस तत्व में है वही सनातन धर्म है।शनिवार को पित्र प्रसाद व भण्डारे के साथ भागवत कथा का समापन हुआ।
बड़ी संख्या में आकर लोगो नें कथा का श्रवण किया। अंतिम दिवस विशेष रूप से पुष्कर सिंह नेगी, रेखा नेगी, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी, डिमरी केन्द्रीय पंचायत के कार्यकारी अध्यक्ष विनोद डिमरी"श्रीराम" , महामंत्री दिनेश डिमरी, बर्फानी बाबा, मोदी थाली के चन्द्र मोहन ममगांई, बीना डिमरी, लक्ष्मण सिंह मोल्फा, मधुर मेहर, आस्था मेहर, संजय विष्ट ,रविंद्र नेगी, मोनिका विष्ट, डॉक्टर हरीश गौड़, प्रभा नेगी, आचार्य दामोदर सेमवाल, आचार्य सुनील ममगाईं, आचार्य संदीप बहुगुणा, आचार्य सन्दीप भट्ट, आचार्य हिमांशु मैठाणी, सुरेश जोशी, धर्मानंद आदि भक्तगण उपस्थित रहे।
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