नीलकंठ ट्रैक पर खिलें हैं ब्रह्मकमल एवं ब्लूपॉपी पुष्प ।








--------------- प्रकाश कपरूवान ।
जोशीमठ,07 सितम्बर।
बद्रीनाथ धाम के ठीक सामने वर्षभर हिमाच्छादित नीलकंठ पर्वत के दर्शन यूँ तो बद्रीनाथ में निवासरत स्थानीय लोग तथा बद्रीनाथ पहुंचने वाले श्रद्धालु एवं प्रकृति प्रेमी पर्यटक करते ही हैं, यहां पहुंचने वाले कई श्रद्धालु व पर्यटक बेहद रमणीक नीलकंठ के बेस कैंप तक करीब 8 किमी के कठिन चढ़ाई वाले इस ट्रैक पर ट्रैकिंग अभियान भी संचालित करते हैं।
बद्रीनाथ धाम से 8किमी का यह ट्रैक कठिन चढ़ाई वाला तो है लेकिन चारों ओर फैली हरियाली,बहते झरने और दूर दूर तक मनमोहक किस्म-किस्म के फूलों की बगिया ट्रैकिंग के शौकीनों को थकान महसूस नहीं होने देती।
बेहद खूबसूरत व रमणीक नीलकंठ ट्रैक पर ट्रैकिंग के लिए बद्रीनाथ पहुंचना आवश्यक है, लेकिन बद्रीनाथ यात्रा पर ही पाबंदी है तो इस खूबसूरत ट्रैक पर भी पिछले चार महीनों से वीरानगी छाई है।
विडम्बना है कि ब्रह्मकमल पुष्पों व ब्लूपॉपी पुष्पों को नजदीक से निहारने देश-विदेश के सैलानी बद्रीनाथ के निकट फूलों की घाटी तो पँहुच रहे हैं, लेकिन बद्रीनाथ धाम के पास नीलकंठ ट्रैक पर खिले इन पुष्पों को निहारने पर्यटक एवं श्रद्धालु चाहकर भी नहीं पहुंच सकते,क्योंकि नीलकंठ ट्रैक के साथ श्री बद्रीनाथ नाम जुड़ गया तो यात्रा खुलने तक आखिर यहाँ कैसे कोई जा सकता है।
पिछले दिनों बद्रीनाथ व जोशीमठ के 8 स्थानीय युवाओं के एक दल ने नीलकंठ ट्रैक पर ट्रैकिंग अभियान संचालित कर प्रकृति की मनोहारी छठां को नजदीक से निहारते हुए अपने कैमरों में कैद किया।यहाँ 12 हजार फीट की ऊंचाई पर ब्रह्मकमल  तो 13 हजार फीट की ऊंचाई पर ब्लूपॉपी पुष्पों के साथ अनेक अन्य पुष्प भी खिले हैं। नीलकंठ पर्वत की तलहटी में खिले अधिकांश ब्रह्मकमल भगवान शंकर के त्रिशूल स्वरूप में भी दिख रहे हैं।

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